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Kavita Kosh से
जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे
ईमान-ओ-कुफ़्र<ref>धर्म-अधर्म </ref> और न दुनिया व -ओ- दीं <ref>दुनिया और धर्म </ref> रहे
ऐ इश्क़ !शादबाश <ref> प्रसन्न रहो </ref> कि तनहा हमीं रहे