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यह आनन्द-संवाद (कि कन्हाई ने आज स्वयं करवट ले ली है) सुनकर व्रजकी व्रज की स्त्रियाँ हर्षित हो गयीं । वे वनमाली श्यामसुन्दर को श्यामसुन्दरको देखने दौड़ पड़ीं। कोई पड़ीं।कोई युवती (नन्दभवन मेंनन्दभवनमें) आ गयी है, कोई आ रही है, कोई उठकर चली है, कोई समाचार सुनते ही आनन्दमग्न हो रही है । घर-घर आनन्द-बधाई बँट रही है । सूरदास अपने प्रभुपर बलिहारी जाता है ।