भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{kkGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = ओमप्रकाश यती |संग्रह= }} {{KKcatGhazal}} <poem> भ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{kkGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार = ओमप्रकाश यती
|संग्रह=
}}
{{KKcatGhazal}}
<poem>
भाव दो, भाषा प्रखर दो शारदे
लेखनी में प्राण भर दो शारदे
मेरे मानस का अँधेरा मिट सके
ज्ञान के कुछ दीप धर दो शारदे
सत्य को मैं सत्य खुल कर कह सकूं
ओज दो, निर्भीक स्वर दो शारदे
शब्द मेरे काल-कवलित हों नहीं
पा सकें अमरत्व , वर दो शारदे
मेरे जीवन के हर इक पल को ‘यती’
सर्जना के नाम कर दो शारदे
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार = ओमप्रकाश यती
|संग्रह=
}}
{{KKcatGhazal}}
<poem>
भाव दो, भाषा प्रखर दो शारदे
लेखनी में प्राण भर दो शारदे
मेरे मानस का अँधेरा मिट सके
ज्ञान के कुछ दीप धर दो शारदे
सत्य को मैं सत्य खुल कर कह सकूं
ओज दो, निर्भीक स्वर दो शारदे
शब्द मेरे काल-कवलित हों नहीं
पा सकें अमरत्व , वर दो शारदे
मेरे जीवन के हर इक पल को ‘यती’
सर्जना के नाम कर दो शारदे
</poem>