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दी बरगद की छाँव ।
भूले लोग कबड्डीलोय, कबड्डी सिर पर
चढ़ा क्रिकेट का भूत
दिन-दिन घूम रहे हाथों में
बढ़ा चिलम का ज़ोर
बलदाऊ पी-पी शराब की
बोतल थे भे कमज़ोर, पूरब टोले टोला-पश्चिम टोले टोला
में है बड़ा तनाव ।
बजीं न झांझें-ढोल ।
हलो-हाय के आगे फीके
पाँय लागूँ लगूँ के बोल
एक दूसरे का हर कोई
काट रहा है पाँव ।
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