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{{KKRachna
|रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान
|संग्रह=
}}
<poem>
पाना मुझको
जितना, जो भी
तुमको पाना
सखा सहज तुम
केशव मेरे
हर पल यह मन
तुमको टेरे
लगे अधूरा,
जीवन का
तुम बिन हर गाना
मन की सच्ची
अभिलाषा को
दया-क्षमा की
परिभाषा को
जितना, जो कुछ
जाना-माना
तुमको माना
तुमसे जानी
जगत-कहानी
ज्ञान-ध्यान की
महिमा-वाणी
बना मुझे जिज्ञासु
डगर में
छोड़ न जाना
</poem>
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|रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान
|संग्रह=
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<poem>
पाना मुझको
जितना, जो भी
तुमको पाना
सखा सहज तुम
केशव मेरे
हर पल यह मन
तुमको टेरे
लगे अधूरा,
जीवन का
तुम बिन हर गाना
मन की सच्ची
अभिलाषा को
दया-क्षमा की
परिभाषा को
जितना, जो कुछ
जाना-माना
तुमको माना
तुमसे जानी
जगत-कहानी
ज्ञान-ध्यान की
महिमा-वाणी
बना मुझे जिज्ञासु
डगर में
छोड़ न जाना
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