भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
' १-धरा सहमी<br> सूरज भी दुबका<br> ठण्ड को देख |<br><br>...' के साथ नया पन्ना बनाया



१-धरा सहमी<br>
सूरज भी दुबका<br>
ठण्ड को देख |<br><br>

२-पार्टी न जाएं<br>
गर्म लिबास बिना <br>
हंसी उडाएं |<br><br>

३-जाड़े से पूछा <br>
कहाँ चले हो भाई <br>
गरीब -घर |<br><br>

४-सर्दी की मार<br>
अमीर कैसे जाने<br>
गरीब जाने |<br><br>

५-सर्दी गायब <br>
रजाई में लिपटा <br>
सूरज हँसे |<br><br>

६-शाल-स्वेटर <br>
टोपी व मफलर <br>
सर्दी भगाए |<br><br>

७-जाड़े की धूप <br>
तन को सहलाए <br>
मन को भाए |<br><br>

८-सर्द हवाएं<br>
तन को ठिठुराएं<br>
सहा न जाए |<br<br>

९-अलाव जले <br>
हाथ-पाँव सेंकते <br>
कहानी कहें |<br<br>

१०-सड़क खाली <br>
सुनसान-सी पडी <br>
ठण्ड की मारी |<br><br>

११-मन तरसे <br>
गुनगुनी धूप को <br>
सूर्य भी छुपा |<br><br>

१२-कहाँ लिखाएं <br>
गुमशुदा -रपट <br>
सूर्य खो गया |<br><br>

१३-देख न सके <br>
कुहासे भरी भोर <br>
जीवन ठप्प |<br><br>

१४-तीखी चुभती <br>
नश्तर-सी चुभोती <br>
शीत लहर |<br><br>

१५-बर्फ ही बर्फ <br>
पानी भी जम गया <br>
ड़ल झील का |<br><br>
335
edits