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{{KKGlobal}} {{KKRachna|रचनाकार=रमा द्विवेदी|संग्रह=}}{{KKCatHaiku}}{{KKAnthologyMaa}} <poem>
१-धरा सहमी<br>
सूरज भी दुबका<br>
तन को ठिठुराएं<br>
सहा न जाए |<br<br>
९-अलाव जले <br>हाथ-पाँव सेंकते <br>कहानी कहें |<br<br> १०-सड़क खाली <br>सुनसान-सी पडी <br>ठण्ड की मारी |<br><br> ११-मन तरसे <br>गुनगुनी धूप को <br>सूर्य भी छुपा |<br><br> १२-कहाँ लिखाएं <br>गुमशुदा -रपट <br>सूर्य खो गया |<br><br> १३-देख न सके <br>कुहासे भरी भोर <br>जीवन ठप्प |<br><br> १४-तीखी चुभती <br>नश्तर-सी चुभोती <br>शीत लहर |<br><br> १५-बर्फ ही बर्फ <br>पानी भी जम गया <br>ड़ल झील का |<br><br/poem>
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