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{{KKRachna
|रचनाकार= सरस्वती माथुर
}}
[[Category: हाइकु]]
<poem>
1
तारा टूटा तो
आसमां से दूर हो
अनाथ हुआ ।
2
अँधेरी रात
पीली चाँदनी बनी
रोशनदान ।
३
ऊँची पहाड़ी
बर्फ जड़ी -पिघली
नदिया बनी ।
4
धरा महकी
पुष्प अगरबत्ती
जब जलाई ।
5
छोड़ तरु को
पतझड़ी पात भी
संत से लगे ।
-0-
</poem>
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|रचनाकार= सरस्वती माथुर
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1
तारा टूटा तो
आसमां से दूर हो
अनाथ हुआ ।
2
अँधेरी रात
पीली चाँदनी बनी
रोशनदान ।
३
ऊँची पहाड़ी
बर्फ जड़ी -पिघली
नदिया बनी ।
4
धरा महकी
पुष्प अगरबत्ती
जब जलाई ।
5
छोड़ तरु को
पतझड़ी पात भी
संत से लगे ।
-0-
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