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Kavita Kosh से
उसका प्रिय शबर प्रेम में उन्मत्त पाग़ल है
"ओ शबर ! तू हल्ला-गुल्ला मत कर
तेरी अपनी (निज) गृहिणी सहज सुन्दर है"
उस पर्वत पर नाना प्रकार के तरुवर फूले हुए हैं,
जिनकी डालियाँ गगन में लगी हुई हैं