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उसका पढ़ो.
करते हैं ,मगर
7-अकेली तो हूँ
मगर भीड़ को भी
ओढ़ लेती हूँ.
8-विश्वास टूटा मानवता का एक पाठ पा लिया . 9-भोग्या - नारीविज्ञापन जग केनशे से बचो . 10- माँ ने भी जब
छोटी बात बनाई
लगी पराई .
तारों को बिछा दो
स्वप्न सोएँगे .
बनाओ, पर घर
तोड़ो न कभी .
गाँव की कब्र पर
सहर नहीं !
में बम बसता है
ब्रह्म तो नहीं !
दुकान क्या ,शहर
सुनसान हुए .
गलतियाँ जीवन
की , कम नहीं !
लौटे फिर ,जीवन
लौट जाता है .
किताब के , जीवन
लिखता नहीं .
द्रौपदियाँ हैं , पर
कृष्ण कंस हैं .
आज अर्जुन बना
एकलव्य है .
रोको झेलम
या चनाब को, धार
आर-पार है .
22- नारी श्रद्धा है
आज इड़ा भी वही
26- हम साथ ही
चलते रहे, तो भी
क्या रास्ते पटे !
27-समय -शिला
सब कुछ लिखे ,तो
कठोर क्यों ?
28-सूरजमुखी- सा मन खिला पर मुरझाया भी . 29- हाथ – हाथ में बात – बात में खिले मैं और तुम .30-सर्दी में जब
ये धूप अलसाई
तू याद आई .
भीड़ का रेला , मेला
किस काम का .
पढ़ाई , क्या कटाई ?
सिर्फ बुआई .
झीनी नर्मी , हरती
मन की गर्मी .
खिली छटा निराली ,
फिर भी खाली .
34- हाथ – हाथ में बात – बात में खिले मैं और तुम .
35-तुंग शैल भी
घन की नमी पर