भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह |संग्रह=सुकून की तलाश / शमशेर बहादुर ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह
|संग्रह=सुकून की तलाश / शमशेर बहादुर सिंह
}}

कितना ज़लज़ला

कितना तूफ़ान आया--

सदहा सदियों में

उभर के इन्सान आया

गो लाख हैवान से भी

बदतर है वो आज

आख़िर तो उसी से 'उठके'

इन्सान आया
Anonymous user