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तनी हुई मुट्ठी लियेलिए
वे बढ़ रहे है,
क्षितिज के उस पार,
बगावत की
तयशुदा परिभाषा के साथ।साथ ।
सच और झूठ,
भविष्य और वर्तमान,
सपने और हकीकत के बीच,
स्पष्ट भेद करते हुए।हुए ।
जीवन और मृत्यु,
प्रेम और जुदाई,
के बीच का विकल्प तलाशते हुए।हुए ।
जीने की उत्कट तलब लियेलिएखामोशी ख़ामोशी की बुनी हुई पैरहन ओढ़ेशब्दों के सुगबुगाते अंगारे लिये।लिए ।
वे तमाम अवरोधों से टक्कर लें
तनी मुट्ठी के साथ
उतर आएंगे आएँगे वे
यकीनन
सड़क के बीचों -बीचसूर्यास्त से ठीक पहले।पहले ।
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