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जब मैं बात नहीं कर पाता अपने उस गहरे प्यार कीतेरे बालोंकी, तेरे होंठोंकी, आँखों की, तुझ दिलदार कीतेरा चेहरा बसा रहता है मेरे दिल में के भीतर तब भीतेरी आवाज़ गूँजती गूँजा करती है, जानजानम, मेरे मन में अब भी
सितम्बर के वे दिन सुनहले, दिखाई देते हैं सपनों में
मेरी ज़ुबान तो ओ प्रिया, बस गीत तेरे ही गाती हैरंग देते हैं -बिरंगा रंग देती है तू मेरी बातों सब रातों को अपनों मेंकहना चाहूँ जब भी कहता हूँ कुछकोई बात, बस, तू याद आती हैमेरी ज़ुबान तो ओ प्रिया, बस तेरे तू ही गीत गाती तू आती है
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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