भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साँचा:KKPoemOfTheWeek

7 bytes added, 10:17, 9 अगस्त 2012
हमारे वतन की नई ज़िन्दगी हो
नई ज़िन्दगी इक मुकम्मिल ख़ुशी हो
 
नया हो गुलिस्ताँ नई बुलबुलें हों
मुहब्बत की कोई नई रागिनी हो
 
न हो कोई राजा न हो रंक कोई
सभी हों बराबर सभी आदमी हों
 
न ही हथकड़ी कोई फ़सलों को डाले
हमारे दिलों की न सौदागरी हो
 
ज़ुबानों पे पाबन्दियाँ हों न कोई
निगाहों में अपनी नई रोशनी हो
 
न अश्कों से नम हो किसी का भी दामन
न ही कोई भी क़ायदा हिटलरी हो
 
सभी होंठ आज़ाद हों मयक़दे में
कि गंगो-जमन जैसी दरियादिली हो
 
नये फ़ैसले हों नई कोशिशें हों
नयी मंज़िलों की कशिश भी नई हो
</pre></center></div>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits