भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मैं यायावर बंजारा साँधू <br>
सुर श्रंगार भला कैसे<br>
मैन जीवन के प्रश्नों से नाता तोड तुम्हारे साथ सुभेशुभे<br>
बारूद बिछी धरती पर कर लूँ<br>
दो पल प्यार भला कैसे<br>
इसलिये विवष हर आँसू को सत्कार नहीं दे पाऊँगा|<br>
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा||<br>
Anonymous user