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Kavita Kosh से
तुम जीवन के उपभोग योग्य<br>
मैं नहीं स्वयं अपने लायक<br>
तुम नहीं अधूरी गजल सुभेशुभे<br>
तुम शाम गान सी पावन हो<br>
हिम शिखरों पर सहसा कौंधी<br>
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