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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गुलाब खंडेलवाल
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[[Category:गीत]]
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अयि सघन वन कुन्तले
किससे मिलने यूँ सजधज कर उतरी व्योम तले?

धूप छाँह की सारी पहने
कानों में हीरे के गहने
किसके साथ रात भर रहने
आई सांझ ढले?

रिमझिम रिमझिम बजते नुपुर
लिपट रहे कम्पित उर से उर
रोम-रोम से रस के आतुर
निर्झर फूट चले

अयि सघन वन कुन्तले
किससे मिलने यूँ सजधज कर उतरी व्योम तले?
<poem>
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