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|रचनाकार=कोदूराम दलित
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'''एक और परिचय'''
कवि कोदूराम 'दलित' का जन्म ५ मार्च १९१० को ग्राम टिकरी(अर्जुन्दा),जिला दुर्ग में हुआ। आपके पिता श्री राम भरोसा कृषक थे। उनका बचपन ग्रामीण परिवेश में खेतिहर मज़दूरों के बीच बीता। उन्होंने मिडिल स्कूल अर्जुन्दा में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। तत्पश्चात नार्मल स्कूल, रायपुर, नार्मल स्कूल, बिलासपुर में शिक्षा ग्रहण की। स्काउटिंग, चित्रकला तथा साहित्य विशारद में वे सदा आगे-आगे रहे। वे १९३१ से १९६७ तक आर्य कन्या गुरुकुल, नगर पालिका परिषद् तथा शिक्षा विभाग, दुर्ग की प्राथमिक शालाओं में अध्यापक और प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत रहे।
ग्राम अर्जुंदा में आशु कवि श्री पीला लाल चिनोरिया जी से इन्हें काव्य-प्रेरणा मिली। फिर वर्ष १९२६ में इन्होंने कविताएँ लिखनी शुरू कर दीं। इनकी रचनाएँ लगातार छत्तीसगढ़ के समाचार-पत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं। इनके पहले काव्य-संग्रह का नाम है — ’सियानी गोठ’ (१९६७) फिर दूसरा संग्रह है — ’बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय’ (२०००)। भोपाल ,इंदौर, नागपुर, रायपुर आदि आकाशवाणी-केन्द्रों से इनकी कविताओं तथा लोक-कथाओं का प्रसारण अक्सर होता रहा है। मध्य प्रदेश शासन, सूचना-प्रसारण विभाग, म०प्र०हिंदी साहित्य अधिवेशन, विभिन्न साहित्यिक सम्मलेन, स्कूल-कालेज के स्नेह सम्मलेन, किसान मेला, राष्ट्रीय पर्व तथा गणेशोत्सव में इन्होंने कई बार काव्य-पाठ किया। सिंहस्थ मेला (कुम्भ), उज्जैन में भारत शासन द्वारा आयोजित कवि सम्मलेन में महाकौशल क्षेत्र से कवि के रूप में भी आपको आमंत्रित किया जाता था। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नगर आगमन पर भी ये अपना काव्यपाठ करते थे।
कवि दलित की दृष्टि में कला का आदर्श 'व्यवहार विदे' न होकर 'लोक-व्यवहार उद्दीपनार्थम' था. हिंदी और छत्तीसगढ़ी दोनों ही रचनाओं में भाषा परिष्कृत, परिमार्जित, साहित्यिक और व्याकरण सम्मत है. आपका शब्द-चयन असाधारण है. आपके प्रकृति-चित्रण में भाषा में चित्रोपमता,ध्वन्यात्मकता के साथ नाद-सौन्दर्य के दर्शन होते हैं. इनमें शब्दमय चित्रों का विलक्षण प्रयोग हुआ है. आपने नए युग में भी तुकांत और गेय छंदों को अपनाया है. भाषा और उच्चारण पर आपका अद्भुत अधिकार रहा है.कवि श्री कोदूराम "दलित" का निधन २८ सितम्बर १९६७ को हुआ।
''' —अरुण कुमार निगम'''