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Kavita Kosh से
|रचनाकार=कृपाराम
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[[Category:पददोहा]]
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लोचन चपल कटाच्छ सर, अनियारे विषपूरि.
मन मृग बेधें मुनिन के,जगजन सहत बिसूरि.
आजु सवारे हौं गई,नंदलाल हित ताल.
कुमुद कुमुदनी के भटू निरखे औरे हाल.
पति आयो परदेस तें,ऋतु बसंत को मानि.
झमकि झमकि निज महल में,टहलैं करै सुरानि.