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तेरी नज़रों से भला क्या पर्दा
ज़ख़्म ग़ायब हैं बज़ाहिर<ref> प्रत्यक्षतय: </ref>मेरे
वो न होता तो न होता कुछ भी
इन पे कोई नहीं आने वाला
अश्क मेरे हैं जज़ाइर मेरे<ref> द्वीप ; जज़ीरा का बहुवचन <ref/ref>
ख़ाक तो डाल ही देंगे मुझपर
मेरे क़ाइल <ref>लाजवाब,निरुत्तर, प्रशंसक</ref> हुए साहिर <ref>जादूगर</ref> मेरे
इक तसव्वुर<ref>कल्पना<ref/ref> का है सूरज दिल में
जिनसे रौशन हैं अनासिर<ref>पंचतत्व; पंचभूत;आग,पानी,हवा,मिट्टी और आकाश</ref> मेरे
हादिसों में है तू ही इक हाफ़िज़<ref>रक्षक</ref>
मेरे अशआर<ref>शे’र का बहुवचन</ref>सुनाते हैं मुझे
अपने लफ़्ज़ों में मुआसिर<ref>समकालीन<ref/ref> दृश्य मेरे
तुझको छू लें तो ग़नीमत जानूँ
हूँ अनासिर<ref> पंचतत्व; पंचभूत;आग,पानी, हवा, मिट्टी और आकाश</ref> के हवाले जब तक
कैसे जज़्बात<ref>भावनाएँ<ref/ref> हों ताहिर<ref>पवित्र;शुद्ध<ref/ref>मेरे
मेरे अशआर<ref>शे’र का बहुवचन</ref> सुनाते हैं मुझे