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|रचनाकार= शिवदीन राम जोशी
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क्या कैसे हो विनती, ना जानू भगवान,
बडे़-बड़े पापियों को, त्यारे तुम दीना नाथ,
बारी ये हमारी प्रभु, भूल हूं न जाइये।
निपट दीन हीन मूर्ख, मैं हूं मतिमंद मूढ़,
शरण जानी दर्शन हित, शीघ्र प्रभु आइये।
प्रेमी करतार राम, पूर्ण करो काम मेरा,
भक्ति रस अमृत मोहीं, घोर-घोर पाइये।
शिवदीन दीन तेरा दास, मेरे उर प्रकाश करो,
अर्जुन को दियो ज्ञान, मोकूं समझाइये।