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गंगा जी तेरे खेत मैं री माई गडे सैं हिंडोळे चयार कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही ।
गौमुख, बद्रीनारायण, लछमन झूला देखि लहर।
हरिद्वार और ऋषिकेश कनखल मैं अमृत की नहर।।
गढ़मुक्तेश्वर, अलाहबाद और गया जी पवित्र शहर।।।
कलकत्ते तै सीधी होली, हावड़ा दिखाई शान।
समुन्द्र मैं जाकै मिलगी, सागर का घटाया मान।।
सूर्य जी नै अमृत पीकै अम्बोजल का किया बखान।।।
इक दिन गई थी सनेत मैं, जित अर्जुन कृष्ण मुरार .... कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही~~~~
गंगा जी तेरे खेत मैं री माई गडे सैं हिंडोळे चयार कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही ।
 
मौसिनाथ तेरे अन्दर जाणकै मिले थे आप।
मानसिंह भी तेरे अन्दर छाण कै मिले थे आप।।
लख्मीचंद भी तेरे अन्दर आण कै मिले थे आप।।।
 
जै मुक्ति की सीधी राही तेरे बीच न्हाणे आल़ा।
पाणछि मैं वास करता, एक मामूली सा गाणे आल़ा।।
एक दिन तेरे बीच गंगे मांगेराम आणे आल़ा।।।
राळज्यागा तेरे रेत मैं कित टोहवैगा संसार .... कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही~~~~
गंगा जी तेरे खेत मैं री माई गडे सैं हिंडोळे चयार कन्हिया झूलते संग रुक्मण झूल रही ।
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