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अग्निपथ / हरिवंश राय बच्चन

7 bytes added, 14:55, 4 अप्रैल 2013
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
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वृक्ष हों भले खड़े,
 
हों घने हों बड़े,
 
एक पत्र छांह भी,
 
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
 
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
 
तू न थकेगा कभी,
 
तू न रुकेगा कभी,
 
तू न मुड़ेगा कभी,
 
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
 
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
 
यह महान दृश्य है,
 
चल रहा मनुष्य है,
 
अश्रु श्वेत रक्त से,
 
लथपथ लथपथ लथपथ,
 
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
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