भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
हो जानिया
जब डूबेगा दिन
दिया जलना जलाना तुम
आवाज़ दे के फिर
मुझको बुलाना तुम
वीरान पेड़ों के
साए जब चलते हैं
मासूम राहों रूहों को
अँधेरे डसते हैं
डरती हूँ मैं तेरे लिए