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काली काली / गुलज़ार

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पलकों से झांके तो झाँकने दो
झाँकने दो
कतरा कतरा गिनने दो
कतरा कतरा चुनने दो
जाने कहाँ पे बदलेंगे दोनों
उड़ते हुए यह शब् शब के परिंदेदो परिंदे
पलकों पे बैठा ले के उड़े हैं
दो बूँद दे दो प्यासे पड़े हैं
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