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Kavita Kosh से
सीपी से खोलो
पलकों से झांके तो झाँकने दो
कतरा कतरा गिनने दो
कतरा कतरा चुनने दो
जाने कहाँ पे बदलेंगे दोनों
उड़ते हुए यह शब् शब के परिंदेदो परिंदे
पलकों पे बैठा ले के उड़े हैं
दो बूँद दे दो प्यासे पड़े हैं