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{{KKRachna
|रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
मैंने तुम्हारे दुख से अपने को जोड़ा
 
और -
 
और अकेला हो गया ।
 
मैंने तुम्हारे सुख से
 
अपने को जोड़ा
 
और -
 
और छोटा हो गया ।
 
मैंने सुख-दुख से परे
 
अपने को तुम से जोड़ा
 
और -
 
और अर्थहीन हो गया ।
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