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हर बार नया / नीरज दइया

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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह= उचटी हुई नींद / ...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह= उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>घटित होता है
जब जब भी प्रेम
पुराना कुछ भी नहीं होता
हर बार होता है नया
घटित हुआ तब जाना-
यह एक अपूर्व-घटना है
किसी दुर्घटना जैसी....
मीरा ने कहा था-
घायल की गति
घायल जाने। </poem>
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