भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जल कर / नीरज दइया

512 bytes added, 01:09, 16 मई 2013
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=उचटी हुई नींद / ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>प्रेम करने के लिए
लगाए सात चक्कर
अग्नि केवल
साक्ष्य रूप
सामने नहीं थी-
वह थी देह में भी।

जल कर
हम हुए- एक
होंगे जुदा
जल कर ही।</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits