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Kavita Kosh से
बीसवीं सदी में पैदा हुआ
फ़ख्र है इसका मुझे
जहाँ भी हूं हूँ अपने लोगों के बीच हूँ, काफ़ी है मेरे लिए
और यह कि एक नई दुनिया के लिए मुझे लड़ना है