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अश्रु / कविता वाचक्नवी

18 bytes added, 17:32, 10 जून 2013
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
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इस चेहरे के अक्षर
 
गीले हैं, सूरज!
 
कितना सोखो
 
सूखे,
 
और चमकते हैं।
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