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'''ख़वातीन के आलमी दिन पर'''
वक़्त सबसे बड़ी अदालत है
ऐ मेरी हमसफ़र बग़ावत कर
अपनी तारीख़ ख़ुद मुरत्तब कर
</poem>
शब्दार्थ
नदामत = पछतावा, पश्चाताप
मुरत्तब करना = क्रमबद्ध करना, संग्रहित करना
</poem>
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