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Kavita Kosh से
किसे ख़तूत लिखूं, हाले-दिल सुनाउँ किसे
न कोई हर्फ़-शनासा* न हमज़माब* मेरा
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1- खुद-अज़ीयती--अपने आप को कष्ट देना