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नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार ॥<br><br>
साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये ।<br>
हम से तुमरे और हैं तुम सा हमरा नाहिं ।<br>