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Kavita Kosh से
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छांह छाँह भी,मांग माँग मत, मांग माँग मत, मांग माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ