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Kavita Kosh से
सूड़ लपेटे है कर्जे की ग्रामीणों को,
मुक्ति अभी तक नहीं मिली है इन दीनो दीनों को!
इन दीनों के ऋण का रोकड़-कांड बड़ा है,
अब भी किंतु अछूता शोषण-कांड पड़ा है।
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