भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह= कोई दीवाना कहता है / कुमार विश्वास
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
सूरज पर प्रतिबंध अनेकों
 
और भरोसा रातों पर
 
नयन हमारे सीख रहे हैं
 
हँसना झूठी बातों पर
 
हमने जीवन की चौसर पर
 
दाँव लगाए आँसू वाले
 
कुछ लोगो ने हर पल, हर दिन
 
मौके देखे बदले पाले
 
हम शंकित सच पा अपने,
 वे मुग्ध स्वँय स्वयं की घातों पर 
नयन हमारे सीख रहे हैं
 
हँसना झूठी बातों पर
 
हम तक आकर लौट गई हैं
 
मौसम की बेशर्म कृपाएँ
 
हमने सेहरे के संग बाँधी
 
अपनी सब मासूम खताएँ
 हमने कभी न रखा स्वयँ स्वयं को  
अवसर के अनुपातों पर
 
नयन हमारे सीख रहे हैं
 
हँसना झूठी बातों पर
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,130
edits