भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'<poem>म्हनैं ठाह है नाप जोख’र हैसियत मुजब बणाया जावै अ...' के साथ नया पन्ना बनाया
<poem>म्हनैं ठाह है
नाप जोख’र
हैसियत मुजब
बणाया जावै
अजकाळै भायला!
एक-दूजै री कमर में
खाज करणै रै राजीपै सागै
गूंथीजै रिस्ता।

इणी’ज खातर तो
आजकाळै टाळ दिया जावै
जरूरत ई कोनी रैयी अबै
बिना नखवाळां री।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits