भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इक नज़्म /गुलज़ार

9 bytes added, 04:44, 26 जुलाई 2013
|संग्रह=रात पश्मीने की / गुलज़ार
}}
{{KKCatKavitaKKCatNazm}}
<poem>
ये राह बहुत आसान नहीं,
जिस राह पे हाथ छुडा छुड़ा कर तुम
यूँ तन तन्हा चल निकली हो
इस खौफ़ से शायद राह भटक जाओ ना कहीं
और तुमको ज़रूरत पड़ जाए,
इक नज़्म की ऊँगली थाम के वापस आ जाना!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,130
edits