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नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र है। यात्री इनका पुराना उपनाम भी है। नागार्जुन एक कवि होने के साथ-साथ उपन्यासकार भी हैं। ये वामपंथी विचारधारा के एक महान कवि हैं। इनकी कविताओं में भारतीय जन-जीवन की विभिन्न छवियां अपना रूप लेकर प्रकट हुई हैं। कविता की विषय-वस्तु के रूप में इन्होंने प्रकृति और भारतीय किसानों के जीवन को, उनकी विभिन्न समस्याओं को, शोषण की अटूट परंपरा को और भारतीय जनता की संघर्ष-शक्ति को अत्यंत सशक्त ढंग से इस्तेमाल किया है। नागार्जुन वास्तव में भारतीय वर्ग-संघर्ष के कवि हैं।
नागार्जुन एक घुमंतू व्यक्ति हैं। थे। वे कहीं भी टिककर नहीं रहते और अपने काव्य-पाठ और तेज़-तर्रार बातचीत से अनायास ही एक आकर्षक सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण कर देते हैं। दरअसल वे एक नये किस्म के अवघड़ संन्यासी कवि हैं। थे। आपात्काल के दौरान नागार्जुन ने जेलयात्रा भी कर चुके हैं।की थी।
उनके मुख्य कविता-संग्रह हैं : सतरंगे पंखों वाली, हज़ार-हज़ार बाहों वाली इत्यादि। उनकी चुनी हुई रचनाएं दो भागों में प्रकाशित हुई हैं।
निधन: १९९८
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