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|रचनाकार=सुरेश सेन नि‍शांत
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|संग्रह=वे जो लकड़हारे नहीं हैं / सुरेश सेन निशांत
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पक गए दिखते हैं
देवकी के बगीचे के आम
चलो चुपक चुपके से
सुग्गों से पहले वहाँ पहुँच जाएँ
दो-चार आम चुरा ले आएँ
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