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मिथिला / रामधारी सिंह "दिनकर"

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|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"|अनुवादक=|संग्रह=इतिहास के आँसू / रामधारी सिंह "दिनकर"
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<poem>
'''मिथिला'''
 
मैं पतझड़ की कोयल उदास,
बिखरे वैभव की रानी हूँ
बिखरे वैभव की रानी हूँ,
मैं हरी-भरी हिमशैल-तटी
की विस्मृत स्वप्न-कहानी हूँ।  १९३४   
</poem>
'''रचनाकाल: १९३४'''