भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|भाषा=भोजपुरी
}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}<poem>हमार मुरली भइल बा चोरी, मुरलिया दिलाइ दऽ ए भाई।<br>सूतल रहलीं कदम के छैयां धर बंसी सिरहानी,<br>एतने में आ गइल निदिया बैरी, हो गइल मुरली के हानी,<br>मुरलिया दिलाइ दऽ ए भाई।<br>ओहि मुरली में प्राण बसल बा छछन जिअरवा मोरी,<br>जैसे हम हईं तोहरो दुलरुआ ओइसहीं मुरलिया मोरी,<br>मुरलिया दिखलाइ दऽ ए भाई।<br/poem>(राजाराम सहनी, सोनपुर)<br><br>