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Kavita Kosh से
|भाषा=भोजपुरी
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<poem>मैं ना जीओं बिनु राम हो जननी, मैं ना जिओं बिनु राम।<br>राम जइहें संग हमहु जाएब,<br>अवध अइहें कवन काम जननी हो, मैं ना जीओं बिनु राम।<br>राम लखन दुनो वन के गवनकिन,<br>नृपति गयो सुरधाम, मैं न जीओं बिनु राम।<br>भूख लगी तहाँ भोजन बनैहों, प्यास लगी तहँ पानी<br>नींद लगी तहँ सेज लगैहों, चरण दबैहों सुबह-साम,<br>मैं न जीओ बिनु राम।<br><br/poem>