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साँचा:KKPoemOfTheWeek

4,031 bytes removed, 04:28, 1 अक्टूबर 2013
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समूहगानमज़दूर का जन्म</div>
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रचनाकार: [[शुभ्र दासगुप्तकेदारनाथ अग्रवाल]]
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देश मतलब सिल्क का झकझक करता एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ झंडा नहीं ।देश मतलब रेड रोड पर परेड नहींटी०वी० पर मंत्रियों का श्रीमुख नहीं देश का मतलबदेश का मतलब एसियाड,फ़िल्म फेस्टिवल, संगीत-समारोह नहीं ।!
देश मतलब कुछ हाथी सा बलवान, जहाजी हाथों वाला औरहुआ !सूरज-सा इंसान, कुछ अलग ही । तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
बीड़ी बाँधते-बाँधते जो दुबला आदमी क्रमश: माता रही विचारः अँधेरा हरनेवाला और दुबला हो रहा हैहुआ !अनजाने में टी०बी० के कीटाणु अपने सीने की खाँचे में पाल रहा हैदादा रहे निहारःउस आदमी के निद्राहीन रात में सबेरा करनेवाला और हुआ !!जब गले एक हथौड़ेवाला घर में उठता है रक्त तब उसी रक्त के धब्बों-थक्कों मेंजागता है देश ।और हुआ !
सारा दिन ट्रेन की बोगी में आँवला या बादाम बेचता हुआपढ़ा-लिखा युवक जिसे हॉकर कार्ड पाने के बदलेइच्छा के विरुद्ध जाना पड़ता है सभी रैलियों मीटिंग-समावेशों मेंगला फाड़-फाड़कर लगाना पड़ता है 'बंदे मातरम' या 'इन्कलाब ज़िन्दाबाद' के नारेउसी युवक की सेफ़्टीपिन लगी हवाई चप्पलजब टूट जाती है अचानक यातायात के पथ परतब उसी हताशा की घड़ी मेंजागता है देश ।जनता रही पुकारःसिनेमा हॉल के सामने सिल्क की सस्ती साड़ी सलामत लानेवाला और उससे भी सस्तीहुआ !मेकअप से खुद को बेचने के लिए सजाए जो मुफ़लिस लड़कीसुन ले री सरकार!रोज़ ग्राहक पकड़ने की ख़ातिर तीव्र वासना में निर्लज्ज हो पल-पल गिनतीजब उसका ग्राहक आता है कयामत ढानेवाला और वही ग्राहक जब बुलाता है उसे -हुआ !!“आ ...गाड़ी के अंदर “- उसी आह्वान एक हथौड़ेवाला घर मेंजागता है देश । देश मतलब लालकिला से प्रधानमंत्री का स्वाधीनता भाषण नहींदेश मतलब माथे पे लाल बत्ती लगाए झकमक अंबेसडर नहींसचिन का शतक या सौरभ की कैप्टेनसी नहीं देश का मतलबदेश का मतलब लीग या डुरांड नहीं | देश मतलब कुछ और, कुछ अलग ही | नौ बरस से बंद कारखाने में जंग लगे ताला लटकते गेट के सामनेझूलसा हुआ जो भूतपूर्व श्रमिक माँगता है भीखउसकी आँखों की तीव्र अग्नि में है देश । नेताओं की बात पर ख़ून,डकैती सब पाप करके अचानक फँस जाने परइलाक़े में आतंक का पर्याय बना जो युवक पुलिस की धुलाई सेलॉकअप के अँधेरे में कराह रहा हैउसकी आँखों की भर्त्सना में है देश । सारा जीवन छात्रों को पढ़ाकर परिवारहीन स्कूल मास्टर !जब प्राप्य पेंशन न पाकर रेलवे स्टेशन पर मांगने बैठते हैं भीखउनके अल्मुनियम के कटोरे की शून्यता में है देश । देश है । रहेगा । बनावटी कोजागरी* में नहींअसल अमावस की घोर अंधकार में । *आश्विन महीने के कोजागरी पूर्णिमा में धन की देवी लक्ष्मी के आगमन पर उनकी पूजा होती है | अनुवाद : सुन्दर सृजक
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