भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बै / कृष्ण वृहस्पति

28 bytes added, 04:17, 16 अक्टूबर 2013
|संग्रह=
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita‎}}<poem>बै घणा कारसाज है
म्हारै मूण्डा ऊपर छींका लगा’र
गुदारै अरज
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,137
edits