भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=गोरधनसिंह शेखावत
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatRajasthan}}
<poem>
कूंतण लाग्या मिनखाजूण नै
मिनख काठ सो बणग्यो |
<poem>