भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita}}<poem>जद उणां सूंप्यो उणनै
मीठै पुरसारै रो धामो
बिचै री सैंग पंगतां डाकनै