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|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
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भाई कै‘वै
मकान इण नक्सै मुजब बणांवाला।
किस्यौक डिजायन हुवैलौ गै‘णा रौ।
मां बड़बड़ावै -
पिता गिणै हर टैम
इन्कम टैक्स रा आंकड़ा
घर रो नौकर
हांसै म्हां सगळा पर
</Poem>