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|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
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मेरे मोहल्ले रा टाबर
खेलै मारदड़ी गुल्ली डंडौ अर पकड़म-पकड़ाई
पण साची बात तो आ है
जणा ऐ टाबर, टाबर नी रै‘ज्यावैला !
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