भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=दीठ / कन्हैया लाल सेठिया
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
हु‘र
चेताचूक
दीठ रो धरम
ताकड़ी रो तोल !
</Poem>